यात्रा व पर्यटन पर जाने से पहले कुछ सुझाव

छुट्टियाँ बिताने के लिये पूरे परिवार के साथ यात्रा में जाने का शौक भला किसे नहीं होता । घूमने जाने के नाम से बच्चे सबसे अधिक रोमांचित होते हैं पर साथ ही साथ बड़े भी उत्साहित रहते हैं । पर अक्सर होता यह है कि लोग बिना किसी पूर्व योजना तथा तैयारी के यात्रा में निकल पड़ते हैं जिससे उन्हें अनेकों कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है । घूमने का सारा मजा किरकिरा हो जाता है । इसलिये अच्छा यही है कि पूरी तरह से सोच-समझ कर यात्रा की पूर्व योजना बनायें और समस्त तैयारियों के साथ ही यात्रा में निकलें ।

पूर्व योजना :

◈ जिस स्‍थान पर आप यात्रा करने जा रहे हैं, उसके बारे में पर्यटन विभाग से पूरी जानकारी प्राप्‍त कर लें, ताकि उसी हिसाब से आप कार्यक्रम तय कर सकें ।
◈ जिस जगह आप घूमने जा रहे हैं, उससे संबंधित रोड़ मैप, होटल व धर्मशालाओं के पते आदि अवश्‍य रख लें ताकि आपकी यात्रा सुविधाजनक रहे ।
◈ यात्रा में जाने की योजना पर्याप्त समय पहले ही बनायें और अपना कार्यक्रम निश्‍चित कर लें जैसे कि कहाँ जाना है, कब जाना है, वहाँ रहने के दौरान वहाँ का अनुमानित मौसम कैसा रहेगा इत्यादि ।
◈ अपना आरक्षण निर्धारित तिथि से पहले करवा लें ताकि यात्रा के दिन आपको टिकट खरीदने की परेशानी न हो ।
◈ यात्रा पर निकलने से पहले बस, रेल, हवाई जहाज छूटने का समय जरूर नोट करें और निर्धारित समय से पहले पहुँचने की कोशिश करें ।
◈ यह भी विचार कर लें कि किस स्थान पर किस माध्यम से जायेंगे फ्लाइट, रेल या टैक्सी/बस से । यह भी तय कर लें कि किस स्थान में कितने दिनों तक ठहरना है ।
◈ सब कुछ तय हो जाने के बाद अपने जाने तथा आने के लिये फ्लाइट, रेल आदि के आरक्षण की उचित व्यवस्था कर लें । जहाँ तक हो सके होटल आदि की व्यवस्था भी पहले ही कर लें जिससे कि गंतव्य स्थान में पहुँचने के बाद जगह ढूँढने में आपका समय बर्बाद न हो । आजकल इंटरनेट की सुविधा होने से आरक्षण, होटल बुकिंग आदि कार्य घर बैठे ही आसानी के साथ किया जा सकता है ।
◈ यात्रा के दौरान अपने साथ ले जाने वाली वस्तुओं की सूची भी बना लें ताकि ऐन वक्‍त पर कोई चीज छूट न जाये ।

तैयारियाँ :

◈ महत्वपूर्ण कागजातों जैसे कि टिकिट, पासपोर्ट, क्रेडिट तथा एटीएम कार्ड्स, ड्राइव्हिंग लायसेंस आदि की छायाप्रति बनवा लें ताकि यदि कोई कागजात खो जाता है तो छायाप्रति से काम चलाया जा सके ।
◈ सफर पर जाने से पहले इस बात की जांच अवश्‍य करें कि आपके पास यात्रा के टिकट, आरक्षण की पर्ची, होटल या ठहरने के पते आदि हैं अथवा नहीं ।
◈ आवश्यकता से अधिक नगद रकम साथ न रखें और प्लास्टिक मनी अर्थात् क्रेडिट तथा एटीएम कार्ड्स का पूरा-पूरा उपयोग करें ।
◈ उनके भीतर भी अपने नाम व पते की स्लिप डाल दें ।
◈ परिचित लोगों के फोन नंबरों की सूची साथ रखें ।
◈ यात्रा पर आप ऐसे वस्‍त्र साथ ले जाऐ जो सुविधाजनक हों, न ज्‍यादा ढीले-ढाले और न ही ज्‍यादा चुस्‍त, ताकि उठने-बैठने, चढ़ने-उतरने में असुविधा न हो ।
◈ घर से निकलने के पहले निश्‍चित कर लीजिये कि रोजमर्रा की चीजें, जैसे – पेन, माचिस, टॉर्च, मोबाईल चार्जर, साबुन, शैम्पू, गिलास, शेविंग किट, मेकअप किट, चाकु, टूथब्रश, टूथपेस्ट, तौलिया, बाल सँवारने के सामान आदि रख लिया गया है । प्रायः लोग इन्हीं चीजों को रखना भूल जाते हैं ।
◈ प्राथमिक चिकित्‍सा का कुछ सामान, रूई, पट्टियां, एंटी-सेप्टिक-बायोटिक क्रीम, बैंडेड, सिरदर्द, पेटदर्द, अपच व दस्‍त की दवाएं, आयोडेक्‍स, विक्‍स, बुखार तथा दर्दनिवारक गोलियाँ, आदि जैसी कुछ आवश्यक दवाएँ और फर्स्ट-एड बाक्स रखना कदापि न भूलें । सम्पूर्ण यात्रा के दौरान कभी भी इनकी जरूरत पड़ सकती है ।
◈ एक छोटा टार्च, एक छोटा चाकू और एक छोटा ताला अपने साथ अवश्य रखें, ये यात्रा में बहुत काम आती हैं ।
◈ यदि आप पर्यटन के लिए हिल स्‍टेशन पर जा रहे हैं तो अपने साथ ऊनी स्‍वेटर, टोपी, मफलर, कोट, उपयुक्‍त जूते, बरसाती, फोल्डिंग छाता आदि अवश्‍य रखें ।
◈ एक हैंड बैग अपने साथ जरूर रखें जिसमें बच्‍चे का सामान आदि हो ।
◈ जूते-चप्‍पल लगल-अलग पॉलीथिन की थैली में बंद करके साथ में ले लेवें
◈ यद्यपि आजकल सभी पर्यटन स्थलों मे खान-पान की पर्याप्त व्यवस्था होती है, फिर भी अपने साथ कुछ हल्के नाश्ते का सामान भी रख लें ।
◈ ‘कम सामान सफर आसान’ याजी सुविधाजनक यात्रा करने के लिए अपने साथ अनावश्यक और भारी सामान कभी भी न रखें । छोटी-छोटी पैकिंग करें जिन्हें परिवार के लोग स्वयं ही उठा सकने में समर्थ हों क्योंकि यात्रा के दौरान अपने सामानों को स्वयं उठा कर ले जाने के अवसर अनेकों बार आते हैं ।
◈ अपना सामान पैक करते समय इस तरह रखें कि यात्रा के दौरान जरूरत की वस्‍तु आसानी से निकाली जा सके । हो सके तो ऐसी वस्‍तुएं किसी छोटे बैग में अलग से रखें ।
◈ अपने हर सूटकेस, अटैची, बैग आदि पर नाम-पते का लेबल अवश्‍य लगाएं, ताकि खो जाने या दुर्घटना हो जाने पर आपका सामान आसानी से ढूंढ़ा जा सके ।
◈ जहां तक हो सके अटैची आदि ऐसी लें जो रेल-बस की सीट के नीचे आ सके, ताकि बस की छत व बस की आलमारी पर या अन्‍य जगह पर सामान रखने का झंझट न रहे ।
◈ यात्रा में बच्‍चे थोड़ी-थोड़ी देर बाद कुछ-न-कुछ खाना चाहते हैं, इसलिए बिस्‍कुट, नमकीन, मठरी, दालमोठ, घर की बनी मिठाई, सूखे मेवे अपने साथ अवश्‍य रखें ।
◈ सफर पर जाने से दो दिन पहले घर की खिड़कियों, दरवाजों की चिटखनियों और तालों की जांच अवश्‍य कर लें, ताकि घर बंद करते समय कोई दिक्‍कत न आए ।
◈ घर पर एसी कोई भी खाद्य-सामग्री छोड़कर न जाएं जो लौटने तक खराब हो जाए ।
◈ यदि लम्‍बे समय के लिए जा रहे है तो कपड़ों और पुस्‍तकों की अलमारी में फिनाइल की गोलियां रखकर जाएं ।
◈ अपने किसी अति विश्‍वसनीय संबंधी, मित्र या पड़ोसी के पास घर की एक चाबी रखकर जाएं, ताकि आपकी अनुपस्थिति में वह घर की देखभाल करता रहे । आपके पीछे पानी, बिजली आदि में कोई खराबी आए तो वक्‍त पर ठीक करा सके ।
◈ जाते समय खिड़कियों, दरवाजों के परदे खींचकर जाएं, ताकि बाहर से पता न चले कि आपका घर खाली है ।
◈ बिजली के स्विच, फव्‍वारे, नल, टोंटी, मेन स्विच बंद करके जाएं । फ्रिज, टेप, टी.वी. आदि के तार स्विच बोर्ड से निकाल देवें ।
◈ गैस का रेग्‍युलेटर निकालकर सिलेंडर अलग कर दें । व सिलेंडर का ढक्‍कन लगा देवें ।
कुछ सुझाव :
◈ किसी भी अपरिचित से कोई वस्‍तु लेकर न खाएं । कुछ लोग खाने में नशीली वस्‍तुएं मिलाकर यात्री को सुला देते हैं और सामान लेकर चम्‍पत हो जाते हैं । कई लोग हर स्‍टेशन पर उतरकर टहलने लगते हैं । ऐसा कदापि न करें, क्‍योंकि कई बार जल्‍दबाजी में चलती ट्रेन में चढ़ने से दुर्घटना होने का भय रहता है ।
◈ कहीं पर भी कूड़ा-करकट न फैलायें बल्कि उपयोग करने के बाद पालीथिन झिल्ली, डिस्पोजेबल गिलास आदि को कूड़ेदान में ही डालें ।
◈ नियम और कानून की अवहेलना ना करें ।
◈ हमेशा अपना व्यवहार सम्भ्रान्त रखें और अनजान लोगों पर एकाएक विश्‍वास न करें ।
◈ बड़े-बड़े स्‍टेशनों पर सामान रखने के लिए ‘अमानती सामान घर’ अवश्‍य होता है । जरूरत पढ़ने पर अपना सामान वहीं जमा करवाएं । इससे आप सामान का बोझ ढोए बिना आसानी से उस शहर में घूमने का आनन्‍द ले सकते हैं ।
◈ सफर के दौरान सहयात्री से बातचीत होना स्‍वाभाविक है, पर अपनी जीवन-गाथा सुनाना और सहयात्री के निजी जीवन से संबंधित व्‍यक्तिगत बातों को कुरेद-कुरेदकर पूछना क्षुद्र मानसिकता की निशानी है ।
◈ किसी लावारिस वस्‍तु को ना छुएं और इसकी सूचना तुरंत पुलिस को देवें
◈ पहाड़ी में नदी-झरने का पानी पीना हानिकारक हो सकता है । इस पानी से आपको दस्‍त लग सकते हैं । अत: हर कहीं का पानी न पिएं ।
◈ किसी भी अनजान जगह समुद्र, नदी, झील, तालाब में बिना उसकी गहराई जाने, नहाना या तैरना नहीं चाहिए और न ही उसके एकदम किनारे खड़े होकर फोटो खींचाना या खिंचवाना चाहिए ।
◈ यात्रा में संयम बरतें । सह यात्रियों को अपनी ही तरह समझें । थोड़े से सहयोग से, मधुर व्‍यवहार से आप सभी पर अपनी अमिट छाप छोड़ सकते हैं ।

यदि आप उपरोक्‍त बातों का ध्यान रखेंगे तो ; आपको निश्‍चिंत होकर अपनी छुट्टियों तथा यात्रा का पूरा-पूरा मजा लेने का मौका अवश्य ही मिलेगा । आपकी यात्रा निश्‍चय ही सुखद, आनंददायक तथा ज्ञानवर्द्धक होगी ।

– आपकी यात्रा मंगलमय !

यात्रा एवं पर्यटन

मानव नामक प्राणी सदा से ही जिज्ञासु प्रवृति का रहा है । नये-नये दर्शनीय स्थानों की खोज, वहाँ के नयनाभिराम दृश्‍यों का अवलोकन, प्राकृतिक सौन्दर्य का भरपूर रसपान एवं विभिन्न प्रांत के निवासियों से मिलना सदैव उसे उत्तेजित करता रहा है । इसी उत्तेजना को प्राप्त करने की अभिलाषा मनुष्य को यात्रा तथा पर्यटन की ओर आकर्षित होने के लिये अत्यन्त प्राचीन काल से बाध्य करती रही है ।

भारत में पर्यटन का उन्माद युगों-युगों से छाया रहा है और इसी लिये “तीर्थ-यात्रा” का प्रचलन बना । वाल्मीकि रामायण में वर्णन आता है कि ‘श्रवण’ के पिता ‘शान्तनु’ नेत्रहीन थे तथा उनकी माता भी अन्धी थीं इसलिये “तीर्थयात्रा” के लिये ‘श्रवण’ उन्हें काँवर में बिठा कर ले गये थे । देवर्षि नारद तो तीनों लोकों की यात्रा ही करते रहते थे । ऐसा प्रतीत होता है कि ‘चार धामों’ की स्थापना केवल तीर्थयात्रा को महत्वपूर्ण बनाने के लिये ही की गई थी । अपनी विदुषी पत्‍नी ‘रत्‍नावली’ से तिरस्कृत होने के बाद तथा ‘रामचरितमानस’ की रचना करने के पूर्व संत श्री ‘तुलसीदास’ जी ने भी चारों धामों तथा अनेक तीर्थों की यात्रा की थी ।

प्रत्येक उम्र के व्यक्‍तियों में यात्रा के प्रति लगाव होता है । बच्चे तो यात्रा के दीवाने ही होते हैं । छुट्टियों में बाहर जाने के लिये वे इतने उत्तेजित रहते हैं कि महीनों पहले से वे योजना बनाने लगते हैं तथा भावी यात्रा की तैयारी में जुट जाते हैं ।

नागरिकगण प्रायः निम्न लिखित कारणों से यात्रा करने के लिये प्रेरित होते हैं :

1. रोजमर्रा की उबाने वाली जिन्दगी में परिवर्तन लाकर पुनः नई स्फूर्ति पाने के लिये
2. पर्वतों, नदियों, सागरों, वनों आदि के प्राकृतिक सौन्दर्य का रसपान करने के लिये
3. पवित्र तीर्थ स्थानों के दर्शन करने के लिये