चलिए आज हम बात करते है, अपने सामाजिक दायित्व की । यह ठीक वैसा ही प्रश्न है, जैसा कि, एक संतान का अपने माता-पिता के प्रति क्या दायित्व और जवाबदेहीता...Read More
19 वीं शताब्दी के प्रारम्भ में दलित आंदोलन कि शुरूआत हिन्दुओ के भीतर ही हुई, जिसमे छुआछुत, मंदिरो मे जाना आदि समस्याओ के निराकरण स्वरूप इसका प्रारम्भ हुआ । 20...Read More
हिन्दू-धर्म व समाज व्यवस्था के अनेक संस्कार व मान्यताये अपराध बन गये :- हजारों वर्षों के धार्मिक अंधी आस्था व वर्ण व्यवस्था के काले युग में जन्मी-पनपी अनेक मान्यताएं, परम्पराएं व...Read More
भारत विभिन्न धर्मों का संगम स्थल है जो इसकी सांस्कृतिक एकता का प्रतिरूप हैं । यहाँ पर धर्म व सम्प्रदायों की पहचान उनके त्यौहारों उत्सवों, पूजा अर्चना तथा आराध्य देवी-देवताओं...Read More
समाज की उत्पत्ति : आदिकाल का मानव ही हमारे समाज का जन्मदाता है । समाज शब्द ‘सभ्य मानव जगत’ का सूक्ष्म स्वरूप एवं सार है । सभ्य का प्रथम अक्षर ‘स’ मानव का...Read More