रैगर समाज के समग्र विकास और सुधार पर नजर डालें तो हमने शैक्षणिक, सामाजिक तथा आर्थिक क्षेत्र में अच्छी प्रगति की है । राजनीति में स्थानीय स्वशासन की संस्थाओं जिनमें ग्राम पंचायतों, नगरपालिकाओं, नगर परिषदों तथा नगर निगम में रैगर समाज के प्रतिनिधि पहले से कई गुना अधिक संख्या में चुन कर आए है । इसलिए रैगर समाज की राजनीतिक जड़े मजबूत हुई है। राष्ट्रीय एवं प्रान्तीय स्तर पर हमारे...Read More
वैचारिक सांस्कृतिक क्रांति- रैगर समाज का अधोगति का मुख्य कारण वैचारिक क्रांति का अभाव रहा है। जैसा खाये अन्न वैसा दाने बने मन वाली कहावत इस समाज के साथ लागू हो गई है। हमारे समाज की 95% जन मानसिकता रूढिवादी, परम्परावादी, प्रतिबद्ध विचारों की है। समाज नयापन, खुलापन चेतनामय विचारों का दुशमन है। परिवर्तन का साहस जुटाने में अक्षम है। इस समाज का तथाकथित साक्षर व्यक्ति चाहे वह वैज्ञानिक शिक्षित...Read More
साहित्य समाज का दर्पण होता है जिस समाज का साहित्य जितना विकसित होगा वह समाज उतना ही उन्नत, जाग्रत होगा। विश्र्व इतिहास में ऐसे कई उदाहरण भरे पडे है प्राचीन काल से तथा कथित उच्च वर्गों का साहित्य पर एकाधिकार होने से इर्षा वंश दलित शोषित जातियों का कोई इतिहास नहीं रचा गया। रैगर जाति भी इस विडम्बना से वंचित नहीं रही बीसवीं सदी के सामाजिक शैक्षणिक, राजनैतिक आन्दोलनों के...Read More
उडे जो, उन्हें भी गिराते हैं, शिकारी लोग पत्थरों से।धरा तो क्या, खाली नहीं आकाश ठोकरों से।। हमारे सुधी पाठक यह सोच रहे होंगे कि इस लेख का शीर्षक ऐसा क्यों है ?यह सत्य है कि पंचायती में जाजम के केन्द्र में और समारोह की अग्रिम पंक्ति में बैठकर अपने आपको समाज का महत्वपूर्ण व्यक्ति बताने की लालसा ही समाज में टांग-खिंचाई का सबसे बडा कारण हैं। यहीं टांग-खिंचाई आपसी...Read More
रैगर जाति के महान क्रांतिकारी अमर शहीद त्यागमूर्ती स्वामी आत्माराम ”लक्ष्य” के बारे में आज भी कुछेक शिक्षित साहित्य इतिहास प्रेमी रैगर ही पूज्य स्वामी जी के बारे में जानते है। पूज्य स्वामी आत्माराम ”लक्ष्य” रैगर संस्कृति के साकार प्रतिक थे। स्वाभिमान साहस सच्चाई, निर्भिकता, सहनशीलता, कर्त्तव्य निष्ठा, संगठन शक्ति, अनुशासन एवं विनम्रता के गुण उनमें सहज रूप से विद्यमान थे। कायरता, कमजोरी, अन्याय के वे कटृर विरोधी थे। ऐसे...Read More
आर्थिक सुधारों के पश्चात भी समाज के समक्ष अभी भी कई सामाजिक चुनौतियाँ है सामाजिक कुरीतियों, विकृतियों और अप्रांसगिक मान्यताओं के विरुद्ध जन जागरण अभियान…..