जल संरक्षण

जल जीवन का अनमोल है रत्न  , इसे बचाने का करो जतन। जल जीवन का श्रोत है तथा जल ही जीवन है | पानी का महत्व दिनों -दिन बढ़ता जा रहा है क्योंकि पानी लगातार कम होता जा रहा है।

धरती पर जितनी पानी की मात्रा है उस सब में से 1% पानी ही हमारे पीने लायक है। फिर भी लोग अक्सर पानी की बर्बादी करते रहते हैं इसीलिए हमें ज्यादा से ज्यादा पानी की बचत करनी चाहिए वरना वो दिन दूर नहीं जब हम पानी की एक -एक बूँद के लिए तरसेंगे जल है तो कल है। जहाँ पानी होता है, वहां जीवन होता है।

पानी के बिना जीवन संभव नहीं है। हमारी पृथ्वी ही एक ऐसा ग्रह है जिस पर जीवन संभव है, क्योंकि यहाँ पानी और जीवन को संभव बनाने वाली अन्य सभी जरुरी चीजें उपलब्ध हैं। अन्य ग्रह जैसे की मंगल, बुध या शुक्र पर जीवन सम्भव नहीं है। वे किसी बंजर रेगिस्तान के सामान हैं क्योंकि वहाँ पानी नहीं पाया जाता है। पानी जीवन के लिए जरुरी है और साथ ही यह वातावरण को भी स्वच्छ बनाता है।

पानी के बिना किसी भी प्रकार के जीवन की कल्पना ही नहीं की जा सकती है। यह प्रकृति द्वारा दिया गया एक ऐसा उपहार है जिसका हमें सम्मान करना चाहिए। पीने, नहाने-धोने, सफाई करने व बर्फ जमाने में हमें पानी की आवश्यकता पड़ती है। पानी का इस्तेमाल आग बुझाने, मनोरंजन जैसे होली में रंग खेलने आदि में भी होता है। तैरने, नाव चलाने व मछलियां पकड़ने आदि में भी पानी का प्रयोग होता है क्योंकि अगर पानी नहीं होता तो मछलियां भी नहीं होतीं।

हमें फसलों, बगीचों व जानवरों आदि सभी के लिए पानी की आवश्यकता होती है। हमें बिजली व अन्य उत्पाद बनाने, यहां तक की भोजन को पकाने के लिए भी पानी की आवश्यकता होती है। पृथ्वी के क्षेत्रफल का अधिकाँश भाग द्वीपों व नदियों से घिरा हुआ है। समुद्र, झरने, नदियों,  तालाब, कुएं आदि सभी पानी से संपन्न हैं। पर्यावरण में यह बर्फ, भाप व बादल के रूप में मौजूद है। पानी की जरुरत हमे जिंदगी भर है, इस बहुमूल्य चीज को बचाहने के लिए हम ही जिम्मेदार है। जैसे जैसे गर्मी बढ़ रही है देश के कई हिस्सों में पानी की समस्या विकराल रूप धारण कर रही है। प्रतिवर्ष यह समस्या पहले के मुकाबले और बढ़ती जाती है। लातूर जैसी कई जगह तो पानी की कमी की वजह से हालात अत्यन्त भयावह हो रहे हैं। जहाँ एक ओर पानी की मांग लगातार बढ़ रही है

वहीँ दूसरी ओर प्रदूषण और मिलावट के कारण उपयोग किये जाने वाले जल संसाधनों की गुणवत्ता तेजी से घट रही है। साथ ही भूमिगत जल का स्तर तेजी से गिरता जा रहा है ऐसी स्तिथि में पानी की कमी की पूर्ति करने के लिये आज जल संरक्षण की नितान्त आवश्यकता है।

भारत कि छोटी छोटी नदिया सुख रही है और बड़ी नदियों में पानी का प्रवाह प्रति वर्ष धीमा ही होते जा रहा है। भारत में पानी की कमी पिछले 30-40 साल की तुलना में तीन गुणा हो गयी है, जिसकी वजह से कई अन्य समस्याएं पैदा हो गयी। भारत जैसे कई अन्य देश ऐसे है जहा अशिक्षा, आत्महत्या, लड़ाई, गरीबी, बेरोज़गारी और दूसरे सामाजिक मुद्दों का कारण भी पानी की कमी है।

पानी की कमी के कारण कई देशो के बच्चे अपने आने वाले भविष्य में मूल शिक्षा के अधिकार और खुशी से जीने के अधिकार को प्राप्त नहीं कर पाएंगे। ये एक बहुत ही गंभीर विषय है, जिस पर सरकार को तुरंत ध्यान देना चाहिए। केवल सरकार को ही नहीं, सबसे पहले हमे ही देश के जिम्मेदार नागरिक होने के कारण कम पानी से होनी वाली समस्याओ का पता होना चाहिए ओर हम सभी प्रतिज्ञा ले और जल संरक्षण के लिये एक-साथ आगे आये।

हम सबका छोटा प्रयास बड़े परिणाम दे सकता है। अपने प्रतिदिन की गतिविधियों में कुछ बदलाव लाकर हम पानी की समस्या से निपट सकते है जैसे कि फव्वारे से नहाने कि बजाए बाल्टी और मग का इस्तेमाल करना और नहाने के बाद नल को ठीक से बंद करना। इसी तरह हजारो और लाखो लोगो के छोटे-छोटे प्रयासों से हम जल संरक्षण अभियान की ओर एक बड़ा सकारात्मक परिणाम दे सकता है।

जल हमारे जीवन के लिए अत्यंत आवश्यक है। हम सभी बिना खाने के तो 10 से 15 दिनों तक जी सकते हैं, लेकिन बिना जल के 3 से 4 दिन से ज्यादा नहीं जी सकते हैं। जल के बिना जीवन संभव ही नहीं है। ऐसा माना जाता है कि जल ही जीवन है। जल इतना महत्वपूर्ण होने के बाद भी लोगों को जल की कीमत ज्यादा नहीं लगती है।

बहुत सारे लोग जल को अनावश्यक रुप से बर्बाद करते हैं। आजकल देश के कई भागों में जल की भारी किल्लत हो गई है। जल की कमी के कारण कई जगह खेती के लिए जरूरी पानी नहीं मिल पा रहा है। इसके कारण फसल की उपज काफी कम हो रही है और अनाज के दाम काफी बढ़ रहे हैं। पूरी धरती पर जितना भी जल है उसका सिर्फ एक प्रतिशत ही हमारे काम आ सकता है।

जल के लगातार बर्बादी की वजह से जमीन में जल का स्तर गिरता जा रहा है। अब लोगों को कुएं में पानी नहीं मिलता है। जमीन में पानी का स्तर नीचे जाने से पेड़-पौधे भी अब ज्यादा नहीं लग पा रहे हैं। कई सारे पेड़ सूख जाते हैं। इसकी वजह से पर्यावरण को काफी नुकसान हो रहा है। अगर जल को यूं ही बर्बाद किया गया तो वह दिन दूर नहीं जब पीने के पानी के लिए लड़ाइयां लड़ी जाएगी और पीने का पानी काफी महंगे दामों में बिकेगा।

यह जानवरों, पौधों या किसी अन्य को जीवित रखने के लिए, पानी एक बुनियादी संसाधन है जो शरीर के कामकाज को बनाए रखने में मदद करता है। ऐसे प्राकृतिक संसाधनों को सहेजकर हम केवल अपने वातावरण को संतुलित रहने में मदद नहीं कर रहे हैं, बल्कि मानव के संरक्षण भी कर रहे हैं।

इससे ऊर्जा को कम करने में मदद मिलती है जो इसे बनाने और वितरित करने के लिए आवश्यक है जो कि प्रदूषण को बढ़ने के लिए किसी भी तरह योगदान देता है। यह अंततः भविष्य में मनोरंजक उद्देश्य के लिए जल को बचाने और उपयोग करने में मदद करेगा। तथ्य यह है कि धरती का केवल 1% ही पीने योग्य पानी है और सभी नमक पानी हैं जो हमारा शरीर स्वीकार नहीं करता है।

इसके अलावा, हम इसके साथ पानी धोने के लिए भी इस्तेमाल नहीं कर सकते। जल का इस्तेमाल सिर्फ पीने के पानी और खेती के लिए ही नहीं होता है बल्कि जल के कई उपयोग हैं जैसे बहुत सारे कल कारखानों और इंडस्ट्रीज में जल अत्यंत जरुरी होता है। इंसानों को जितना जल आवश्यक है, जानवरों, कीड़े मकोड़े सभी को जल की उतनी ही आवश्यकता होती है। घर बनाने से लेकर मोटर गाड़ी चलाने तक सभी चीजों में जल की जरूरत होती है।

जल से ही नदियां और समुंद्र बना है। अगर घर में किसी दिन पानी आना बंद हो जाए तो उस घर का सारा काम बंद हो जाता है। उस दिन ना तो खाना बन पाता है, ना ही कपड़े धोए जा सकते हैं, ना तो स्नान किया जा सकता है और ना ही ठीक से शौचालय का इस्तेमाल किया जा सकता है तो इस तरह हम देखते हैं कि जल हमारे जीवन के हरेक पल में एक अहम रोल अदा करता है।

जल बचाने  तरीके (to conserve water):- जल बचाने के कई उपाय है परन्तु उन उपायों का इस्तेमाल करने की शुरूआत हमें अपने घर से ही करनी होगी। हमें अपने घर में बूँद-बूँद करके बहते पानी को बचाना होगा। फव्वारे या सीधे नल के नीचे बैठ कर नहाने की बजाय बालटी और मग का प्रयोग करें। घर के बगीचे में पानी देते समय पाईप की बजाय फव्वारे का प्रयोग करें।

ज्यादा से ज्यादा पेड़-पौधे लगायें जिससे वर्षा की कमी न हो। हो सके तो पौधे बरसाती मौसम में ही रोपें जिससे उन्हें पौधे को प्राकृतिक रूप से पानी मिल जाये। घर में ऐसे पौधों को लगाने की कोशिश करनी चाहिये जो कम पानी में भी रह सकते हैं।

सरकार को कुछ ऐसी नीति बनानी होगी कि औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाला पानी नदी-नालों में न मिले। इसके निस्तारण की कुछ अच्छी व्यवस्था हो जिससे खतरनाक रसायन पीने योग्य पानी में मिलकर उसे दूषित न कर पायें। धरती पर बढ़ती जनसंख्या के दबाव पर भी ठोस कदम उठाये जाने चाहियें। बरसाती जल इकट्ठा करने एवं प्रयोग करने लायक बनाने की छोटी इकाइयों को बढ़ावा देना चाहिये जिससे बरसाती जल व्यर्थ न जाये।

यदि हम इन सब बातों का ध्यान रखेंगे और बच्चों को भी इसकी आदत डालेंगे तो निश्चित रूप से धरती और धरती पर विकसित होने वाली प्रकृति एवं जीवन खुशहाल होगा। भारत के जिम्मेदार नागरिक होने के नाते, पानी की कमी के सभी समस्याओं के बारे में हमें अपने आपको जागरुक रखना चाहिये जिससे हम सभी प्रतिज्ञा ले और जल संरक्षण के लिये एक-साथ आगे आये। ये सही कहा गया है कि सभी लोगों का छोटा प्रयास एक बड़ा परिणाम दे सकता है जैसे कि बूंद-बूंद करके तालाब, नदी और सागर बन सकता है।

जल संरक्षण के लिये हमें अतिरिक्त प्रयास करने की जरुरत नहीं है, हमें केवल अपने प्रतिदिन की गतिविधियों में कुछ सकारात्मक बदलाव करने की जरुरत है जैसे हर इस्तेमाल के बाद नल को ठीक से बंद करें, फव्वारे या पाईप के बजाय धोने या नहाने के लिये बाल्टी और मग का इस्तेमाल करें। लाखों लोगों का एक छोटा सा प्रयास जल संरक्षण अभियान की ओर एक बड़ा सकारात्मक परिणाम दे सकता है।तो दोस्तों हम उम्मीद करते हैं की आपको जल संरक्षण पर निबंध काफी पसंद आयी होगी और इसे आप अपने दोस्तों के साथ शेयर करना चाहेंगे।