भगवान की बनाई गई इस दुनिया के जीवों में सबसे श्रेष्ठ प्राणी मनुष्य है | मनुष्य विवेकशील, प्रज्ञावान और स्वाभाव से हीw मानवता के प्रति संवेदनशील होता है | सारे मनुष्य जन्म से समान होते है ओर मनुष्य समान तरह से जन्म लेते है | समान मानवीय अधिकारों और आदर के हक़दार होते है | मनुष्य होने के नाते इस दुनिया में, सभी को एक समान स्वतंत्रता और समानता का...Read More
आज जिसको देखो समाज के विकास की बात करता है जिसमे, बड़े-बूढे, शिक्षित, अशिक्षित, डाक्टर, इंजीनियर, वकील, राजपत्र अधिकारी सभी शामिल है। यदि किसी से पूछा जाये कि आपने समाज के विकास के लिये क्या किया तो व्यक्ति बताता है कि मै फलाणा फलाना संस्थाओ/संघो/संगठनो (एक से अधिक) मे पदाधिकारी हूं और समाज की सेवा करता हूं। इस प्रश्न के उतर मे उक्त व्यक्ति का लक्ष्य ही दिशाहीन है क्योकि...Read More
राजस्थान में अछूतों की स्थिति – राजस्थान राज्य के समाज में विभिन्न वर्गों और जातियों के लोग निवास करते थे। अन्य प्रान्तों की अपेक्षा राजस्थान में छुआछूत की प्रथा अधिक थी। राजस्थान को पूर्व में राजपूताना कहा जाता था। राजस्थान राज्यों की रियासतों के शासक निन्म वर्ग के लोगों के साथ भेदभावपूर्म व्यवहार करते थे। शूद्र जाति के लोगों का गाँव में सभी स्थानों पर घूमने-फिरने और बैठने की स्वतंत्रता नहीं थी।...Read More
किसी भी अखबार की अपार सफलता के पिछे उसके पाठकों का हाथ होता हैं । इन्हीं कि बदोलत आज ‘रघुवंशी रक्षक पत्रिका’ अपने ११ वें वर्ष में प्रवेश कर लिया है । पाठकों के अपार स्नेह व सहयोग ने ही । आज ‘रघुवंशी रक्षक पत्रिका’ को रैगर समाज की बुलंद आवाज बनकर उभारा है । पाठकों के प्रति पत्रिका परिवार हमेशा कृतज्ञ रहा हैं । और आगे भी रहेगा ।...Read More
प्रत्येक जाति का अपना एक इतिहास होता है । रैगर जाति का भी इतिहास रहा है । यदि रैगर जाति के इतिहास को आंकने का प्रयास किया जाये तो विदित होता है कि यह जाति गौरवशाली, क्षत्रिय परम्पराओं का निर्वहन करने वाली तथा जमींदारी कार्यों के प्रति समर्पित रही होगी । मध्यकाल में जब एक राज्य दूसरे राज्य पर अपनी शक्ति तथा सीमा विस्तार हेतु युद्धरत रहा करते थे तब...Read More
आर्थिक सुधारों के पश्चात भी समाज के समक्ष अभी भी कई सामाजिक चुनौतियाँ है सामाजिक कुरीतियों, विकृतियों और अप्रांसगिक मान्यताओं के विरुद्ध जन जागरण अभियान…..