अखिल भारतीय रैगर महासभा के विधान में संशोधन किए जा रहे हैं । ये संशोधन प्रमुख रूप से महासभा के सदस्यों तथा पदाधिकारियों के पदों की संख्या बढ़ाये जाने से सम्बन्धित है । विधान में प्रान्तों एवं जिलों के आधार पर प्रतिनिधियों की संख्या 1290 निर्धारित की गई थी । पूरे भारत में रैगरों की आबादी लगभग 50 लाख है । जनसंख्या की दृष्टि से प्रतिनिधियों की ‘संख्या कम’ है...Read More
जिस व्यक्ति के जीवन में कोई ”लक्ष्य” नहीं होता है वह सदैव अज्ञान के बन्धनों में बन्धा रहता है । जीवन का ”लक्ष्य” आत्मज्ञान है । विनोवा भावे ने कहा है, ”चलना आरंभ कीजिए, लक्ष्य मिल ही जाएगा ।” इतिहास उन्हें ही याद रखता है जो असंभव लक्ष्य निर्धारित करते हैं और उन्हें प्राप्त करते हैं । जो समाज अपने इतिहास पुरूष को याद नहीं रखता, वह समाज कमजोर ही...Read More
‘संगठन में शक्ति है ।’ इस मूल मंत्र को समझे और क्रियांवित करे । संगठन से बड़ी कोई शक्ति नहीं है । बिना संगठन के कोई भी देश व समाज सुचारू रूप से नहीं चल सकता है । संगठन ही समाज का दीपक है- संगठन ही शांति का खजाना है । संगठन ही सर्वोत्कृषष्ट शक्ति है । संगठन ही समाजोत्थान का आधर है । संगठन बिना समाज का उत्थान संभव नहीं...Read More
एक समह हुआ करता था जब भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था एवं उसमें दुध दही की नदियां बहा करती थी, यह सत्य है लेकिन अंग्रेजों ने भारत के राजा-महाराजओं की आपसी फूट का नाजायज फायदा उठाकर कई बहुमुल्य हीरे-जवाहरात, सोना-चांदी एवं अमूल्य साहित्य कब्जें में लेकर अपने देशों में लेकर चले गये । अंग्रेजी हकुमत ने भारत एवं भारतवासियों पर तरह-तरह के जुल्म ढाने लगी । अत्याचार...Read More
हम कौन थे, हो गए क्या, और होंगे क्या अभी ।आओ मिलकर विचार करें, यह समस्याएं सभी ।। उस परब्रह्मा द्वारा निर्मित सृष्टि की कोई सीमा नहीं है । इसमें कई राष्ट्र धर्म तथा जातियों को मानने वाले लोग निवास करते है, जिसमें रैगर जाति भी एक है । हिन्दू धर्म की सदियों से पिछड़ी हुइ हामारी रैगर जाति है, जोकि पूरे हिन्दुस्तान में एक ही ऐसी जाति है जिसमें...Read More
आर्थिक सुधारों के पश्चात भी समाज के समक्ष अभी भी कई सामाजिक चुनौतियाँ है सामाजिक कुरीतियों, विकृतियों और अप्रांसगिक मान्यताओं के विरुद्ध जन जागरण अभियान…..