सामाजिक लेख

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पूर्वजों या पितरों के प्रति हमारा कर्त्तव्य

श्रद्धासमन्वितैर्दत्तं पितृभ्यो नामगोत्रतः ।यदाहारास्तु ते जातास्तदाहारत्वमेति तत् । । ‘श्रद्धायुक्त व्यक्तियों द्वारा नाम और गोत्र का उच्चारण करके दिया हुआ अन्न पितृगण को वे जैसे आहार के योग्य होते हैं...
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गलत इतिहास लेखन के दुष्परिणाम !

मनुष्य में अपने पूर्वजों का इतिहास जानने की जिज्ञासा हमेशा रही है । हजारो वर्षों से अपमानित, शोषित एंव उपेक्षित दलित वर्ग की अछूत जातियां अपने वजूद को जलाशती हुई...
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पेराशूट से उतरते पदाधिकारी

आज हम एक ऐसे महत्वपूर्ण बिन्दु पर चर्चा करने जा रहे है, जिसका संस्था की सफलता और असफलता मे महत्वपूर्ण योगदान होता है, किसी भी संस्था का संचालन उसके पदाधिकारियों...
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सामाजिक संगठनों के पदाधिकारी सवालों के घेरे में !

आज हम एक ऐसे विषय पर चर्चा करने जा रहे है, जिस पर हमे गम्भीर रूप से मंथन करने की आवश्यकता है, आज हमारे बीच मे अनेक सामाजिक व गैर...
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समाज की धार्मिक अंधता

हमारा समाज गाँव-गाँव और गली-गली मन्दिरों के निर्माण में लाखों रूपये व्‍यर्थ गवां रहा है । इन मन्दिरों में असामाजिक तत्‍व जुआ खेलते हैं, ताश खेलते हैं, शराब पीते हैं...
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