श्रद्धासमन्वितैर्दत्तं पितृभ्यो नामगोत्रतः ।यदाहारास्तु ते जातास्तदाहारत्वमेति तत् । । ‘श्रद्धायुक्त व्यक्तियों द्वारा नाम और गोत्र का उच्चारण करके दिया हुआ अन्न पितृगण को वे जैसे आहार के योग्य होते हैं...Read More
मनुष्य में अपने पूर्वजों का इतिहास जानने की जिज्ञासा हमेशा रही है । हजारो वर्षों से अपमानित, शोषित एंव उपेक्षित दलित वर्ग की अछूत जातियां अपने वजूद को जलाशती हुई...Read More
आज हम एक ऐसे महत्वपूर्ण बिन्दु पर चर्चा करने जा रहे है, जिसका संस्था की सफलता और असफलता मे महत्वपूर्ण योगदान होता है, किसी भी संस्था का संचालन उसके पदाधिकारियों...Read More
हमारा समाज गाँव-गाँव और गली-गली मन्दिरों के निर्माण में लाखों रूपये व्यर्थ गवां रहा है । इन मन्दिरों में असामाजिक तत्व जुआ खेलते हैं, ताश खेलते हैं, शराब पीते हैं...Read More