ऐ वीर रैगर सुन भारत के मूल निवासी । सिन्धु सभ्यता के जनक, संख्या में है बीस । । छल-कपट से लूटा लूटेरों ने तेरा राज सिहासन । कभी दास तो कभी लाचार गुलाम बनाया । तेरे गले में हांडी, कमर पर झाडू बंधवाया । । कब तक ढोयेगा ये गुलामी और लाचारी । पहचान कौन है जुल्मी अन्यायी अत्याचारी । । सो लिया तू बहूत हुये वर्ष चार...Read More
आगे बढो रैगर समाज के लोगों अब ये युग हमारा है । आगे बढने के सिवाय अब हमारे पास नहीं कोई चारा है ।। हमे रैगर जाति को उचाईयों तक ले जाना है । रैगर जाति का उजाला सारे जगत मे फेलाना है ।। अब नहीं थकना है अब आगे बढते रहना है । अब नहीं रूकना है अब आगे बढते रहना है ।। समाज मे...Read More
दलितों के नेता, पत्रकार अर स्वतंत्रता सैनानी । जयचन्द मोहिल याद रहेगी, देश हित तेरी कुर्बानी ।। गांधी-नेहरू के भक्त तुने, दलितों का उत्थान किया । मदिरा पान बन्द कराया, और उन्हें सम्मान दिया ।। भारत माता की जय बोल, आंदोलन का बिगुल बजाया । लाठी-डंडे पड़े खूब, पर न तनिक भी घबराया ।। सन् 1938 के आन्दोलन में, नौकरशाही से टकराया ।...Read More
निर्भय वीर सिपाही अविचल, समाज संगठन लहराई । समस्त रैगर जाति के ओर छोर में पावन ज्योति लक्ष्य जगाई ।। रैगर चेतना का था तुमने भरा सभी में अविरल उत्साह । समाज में फैले दुष्चक्रो को दूर किया सह उत्साह ।। तुम ऐसे थे लोह पुरूष, स्वयं कौशल से किया निमार्ण । भरां सभी में प्राण विसर्जन, रैगर उत्थान को मन में ठाण ।।...Read More
समझ रघुवंश मणी रैगर जामनो मुश्किल आवे छ: । कुरूतियों के कारण जामारो विरथ जावे छ: ।। बाल विवाह और रूढिवादी में रूचि दिखावे छ: । दहेजं प्रथा में कमी नहीं, फिर नुकता भावै छ: ।। रूढिवाद में तांडव में क्यों घर लुटावै छ: । खुद मर जावे ऋण के माहि, संग दो पीढी जावे छ: ।। रूढिवादी के रूढि...Read More
आर्थिक सुधारों के पश्चात भी समाज के समक्ष अभी भी कई सामाजिक चुनौतियाँ है सामाजिक कुरीतियों, विकृतियों और अप्रांसगिक मान्यताओं के विरुद्ध जन जागरण अभियान…..