जयपुर। रैगर समाज में लोगों कि दिन-ब-दिन बढ़ रही हैसियत के साथ ही शादी-विवाह में भारी भरकम खर्चों का भी चलन खूब बढ़ गया है। शादी में फिजूलखर्ची और ज्यादा से ज्यादा दहेज देना एक फैशन बन गया है। दहेज़ प्रथा रूपी दानव किसी भी समाज के लिए अच्छी प्रथा नहीं है इसलिए इस प्रथा को ख़त्म करने के लिए हर किसी को आगे आना चाहिए। दहेज प्रथा का बहिष्कार...Read More
चलिए आज हम बात करते है, अपने सामाजिक दायित्व की । यह ठीक वैसा ही प्रश्न है, जैसा कि, एक संतान का अपने माता-पिता के प्रति क्या दायित्व और जवाबदेहीता होना चाहिये । वैसे आम तोर पर हमेशा बात लेने की आती है, जैसे- मुझे क्या मिलेगा, मुझे क्या दिया, मेरा क्या फायदा होगा, मेरा क्या मतलब है, मुझे क्या लेना-देना है । व्यक्ति अपने माता-पिता से भी, यह उम्मीद...Read More
19 वीं शताब्दी के प्रारम्भ में दलित आंदोलन कि शुरूआत हिन्दुओ के भीतर ही हुई, जिसमे छुआछुत, मंदिरो मे जाना आदि समस्याओ के निराकरण स्वरूप इसका प्रारम्भ हुआ । 20 वीं शताब्दी के प्रारम्भ मे दलित आंदोलन कि शुरूआत महाराष्ट्र मे हुई जिसमे विधान मंडल मे हिस्सेदारी, पृथक निर्वाचन योजनाओ मे हिस्से की मांग की गई । इसी दौरान एक युवा बेरिस्टर डॉ. भीमराव अम्बेडकर का उदय हुआ, जिन्होने अंग्रेजी...Read More
15 अगस्त सन् 1947 को भारत विदेशी दासता से मुक्त हुआ और स्वतंत्र राष्ट्र होने पर डाक्टर बाबू राजेन्द प्रसाद को सबसे पहले भारत का राष्ट्रपति बनाया गया । जबकि पंडित जवाहर लाल नेहरू को प्रधानमंत्री पद कि शपथ दिलाई गयी । अपने मंत्री मंडल में सरदार वल्लभ भाई पटेल जो लोह पुरूष के नाम से जाने जाते थे, उन्हें गृह मंत्री बनाया । डॉ. भीमराव अम्बेडकर को पंडित नेहरू...Read More
छुट्टियाँ बिताने के लिये पूरे परिवार के साथ यात्रा में जाने का शौक भला किसे नहीं होता । घूमने जाने के नाम से बच्चे सबसे अधिक रोमांचित होते हैं पर साथ ही साथ बड़े भी उत्साहित रहते हैं । पर अक्सर होता यह है कि लोग बिना किसी पूर्व योजना तथा तैयारी के यात्रा में निकल पड़ते हैं जिससे उन्हें अनेकों कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है । घूमने का...Read More
आर्थिक सुधारों के पश्चात भी समाज के समक्ष अभी भी कई सामाजिक चुनौतियाँ है सामाजिक कुरीतियों, विकृतियों और अप्रांसगिक मान्यताओं के विरुद्ध जन जागरण अभियान…..