हिन्दू-धर्म व समाज व्यवस्था के अनेक संस्कार व मान्यताये अपराध बन गये :- हजारों वर्षों के धार्मिक अंधी आस्था व वर्ण व्यवस्था के काले युग में जन्मी-पनपी अनेक मान्यताएं, परम्पराएं व धार्मिक अनुष्ठान वर्तमान वैज्ञानिक व सामाजिक राजनैतिक स्वतंत्रता के युग में अपराधों की श्रेणी में आ चुके है । इस देश की संसद व विधान सभाओं में इन आपराधिक मान्यताओं, परम्पराओं के लिए दाण्डिक कानून बनाये है जैसे :- (1). महाभारत...Read More
भारत विभिन्न धर्मों का संगम स्थल है जो इसकी सांस्कृतिक एकता का प्रतिरूप हैं । यहाँ पर धर्म व सम्प्रदायों की पहचान उनके त्यौहारों उत्सवों, पूजा अर्चना तथा आराध्य देवी-देवताओं में समाहित है । इय जगत में ब्रह्मा-सृष्टिकर्ता, विष्णु-पालनकर्ता व महेश-संहारकर्त्ता के रूप में देवीय कार्यों को माया मानकर करीब 33 करोड़ देवी-देवताओं की श्रद्धा भाव से पूजा अर्चना हिन्दू धर्म में की जाती है । जगत पालनकर्त्ता विष्णु समय-समय...Read More
समाज की उत्पत्ति : आदिकाल का मानव ही हमारे समाज का जन्मदाता है । समाज शब्द ‘सभ्य मानव जगत’ का सूक्ष्म स्वरूप एवं सार है । सभ्य का प्रथम अक्षर ‘स’ मानव का प्रथम अक्षर ‘मा’ जगत का प्रथम अक्षर ‘ज’ इन तीनों प्रथम अक्षरों के सम्मिश्रण से समाजशब्द की उत्पत्ति हुई, जो सभ्य मानव जगत का प्रतिनिधित्व एवं प्रतीकात्मक शब्द है । समाज की संज्ञा : एक से अनेक व्यक्तियों के समूह को परिवार तथा एक परिवार से अनेक...Read More
आज हम बात कर रहे है, भारतीय प्रारूप संविधान कि धारा 10 है, जिसमें कि अनुसूचित जाति, जनजाति को नौकरियो में आरक्षण का प्रावधान है । आरक्षण की इस लडाई में जब भारत के संविधान का निर्माण हो रहा था, तब सभा में एक वोट की कमी से आरक्षण प्रस्ताव पारित नही हो सका, तब डां. अम्बेडकर के सामने एक गंभीर समस्या उत्पन्न हो गई कि, अनुसूचित जाति व अनुसूचित...Read More
‘संगठन में शक्ति है ।’ इस मूल मंत्र को समझे और क्रियांवित करे । संगठन से बड़ी कोई शक्ति नहीं है । बिना संगठन के कोई भी देश व समाज सुचारू रूप से नहीं चल सकता है । संगठन ही समाज का दीपक है- संगठन ही शांति का खजाना है । संगठन ही सर्वोत्कृषष्ट शक्ति है । संगठन ही समाजोत्थान का आधर है । संगठन बिना समाज का उत्थान संभव नहीं...Read More
आर्थिक सुधारों के पश्चात भी समाज के समक्ष अभी भी कई सामाजिक चुनौतियाँ है सामाजिक कुरीतियों, विकृतियों और अप्रांसगिक मान्यताओं के विरुद्ध जन जागरण अभियान…..