February 2018

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अक्सर बात हम डॉ. अम्बेडकर द्वारा, वंचित समाज के लिए किये गये कार्यों त्याग और बलिदान की, बात तो करते हैं, लेकिन अक्सर हम उनके प्रति जवाबदेहीता भूल जाते हैं, यह ठीक वैसा ही है, जैसा कि पुत्र-पुत्री द्वारा अपने माता-पिता के प्रति अपनी जवाबदेहीता भूल जाना है । हम यह नही कहते हैं इस...
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आज, यदि हम अपनी युवा पीढी की बात करे, तो उसके विचार, उसकी सोच उसका भविष्य बिल्कुल अलग नजर आता है, उसमे कुछ कर गुजरने का जजबा तो है लेकिन उसे आज भी यह अहसास नही है, कि वो जिस किस्ती मे सवारी कर रहे है, जो कितनी मुश्किलो व तकलीफो और तुफानो का सामना...
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आज हम उस दौर की बात कर रहे है जिसमें डॉ. अम्बेडकर द्वारा प्रथम गोलमेज सम्मेलन 1930 में दिये गये भाषण की ब्रिटिश प्रधानमंत्री रैम्जे मैकडोनाल्ड ने प्रंशसा की तथा ’’ दी इंडियन डेली मेल ‘‘ ने डॉ. अम्बेडकर के भाषण को सम्पूर्ण सम्मेलन का सर्वोतम भाषण बताया तथा अंग्रेजी समाचार पत्रों ने भी डॉ....
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आज हमें जो प्राप्त है जिसमें सर्वप्रथम शिक्षा, वह भी आरक्षण की देन है। जिसकी वजह से एक बच्चा स्कूल, कॉलेज, विश्‍वविद्यालय में भर्ती होता है तभी तो वह डॉक्टर, इंजीनियर और वकील बनता है और उसके बाद उसे मिलती है सरकारी नौकरी, वो भी आरक्षण की वजह से, और फिर वही प्रक्रिया उसकी संतान...
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आज देश के दलित-आदिवासी संगठनो पर नजर डाले तो, आज देखेगें की इन संगठनों का महत्व नही के बराबर है। वे कौनसे कारण है कि यह संगठन ना तो, समाज को संगठित करने में सफल हुए, ना ही इनके अधिकारों की सुरक्षा देने में। आप इन संगठनो पर नजर डाले तो एक बात बहुत स्पष्ट...
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आप कहेगे की यह क्या कह रहें हैं, मैं ठीक कह रहा हूँ कि, आज जो समाज पिछड़ा हुआ है, उसके लिए कौन जिम्‍मेदार है और आखिर क्या कारण है?, जो समाज का विकास जितना होना चाहिये, उतना नही हो पाया है, इसके लिए किसे जिम्‍मेदार ठहराये ? इसे समझने के लिये घर से शुरूआत...
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राजनीति अर्थात् ऐसी नीति जो हमे राजा बना दे । भारत देश की शासन व्यवस्था लोकतांत्रिक है । जिसे नेता चलाते है, जिसके लिये किसी शैक्षिक योग्यता की जरूरत नही हैं । जबकि सरकार की नोकरी पाने के लिए योग्यता चाहिये । आज समाज कोई भी हो, समाज के प्रत्येक नागरिक की इच्छा होती है...
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जब समाज के विकास की बात हो और सामाजिक संस्‍थाओं व संगठनों पर चर्चा न हो, ऐसा हो नहीं सकता । आज हम उन्ही संस्थाओं और संगठनों की बात कर रहे हैं । जिनके ऊपर समाज के विकास की जिम्मेदारी है, उन्हीं संस्थाओं के पदाधिकारी समाज का बेड़ा गर्ग कर रहे हैं । यह अलग...
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जैसे-जैसे समय गुजर रहा है, वैसे-वैसे इस देश के सामाजिक परिवेश में बदलाव भी आ रहे हैं । कही मानसिक-भावात्मक तो कही तकनीकी-सामाजिक । वास्तविक परिस्थितियों पर चर्चा करे तो, सम्पूर्ण भारत के सभी क्षेत्रों के साथ – साथ, राजस्थान में भी में बदलाव आ रहे हैं, कुछ लोग तो स्वत ही, तो कुछ परिस्थितियों...
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समाज की बात करते है तो, संगठन का भी प्रश्न सामने नजर आता है, कि समाज को कैसे संगठित किया जाये । समाज को संगठित करने मे सम्मेलन, बैठको, विचार मंथन शिविरों आदि की महत्वपूर्ण भूमिका होती है । भारत जैसे लोकतान्त्रिक देश मे अपने हकों के लिए किसी समाज विशेष या वर्ग द्वारा आंदोलन...
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