February 2018

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उडे जो, उन्हें भी गिराते हैं, शिकारी लोग पत्थरों से।धरा तो क्या, खाली नहीं आकाश ठोकरों से।। हमारे सुधी पाठक यह सोच रहे होंगे कि इस लेख का शीर्षक ऐसा क्यों है ?यह सत्य है कि पंचायती में जाजम के केन्द्र में और समारोह की अग्रिम पंक्ति में बैठकर अपने आपको समाज का महत्वपूर्ण व्यक्ति...
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रैगर जाति के महान क्रांतिकारी अमर शहीद त्‍यागमूर्ती स्‍वामी आत्‍माराम ”लक्ष्‍य” के बारे में आज भी कुछेक शिक्षित साहित्‍य इतिहास प्रेमी रैगर ही पूज्‍य स्‍वामी जी के बारे में जानते है। पूज्‍य स्‍वामी आत्‍माराम ”लक्ष्‍य” रैगर संस्‍कृति के साकार प्रतिक थे। स्‍वाभिमान साहस सच्‍चाई, निर्भिकता, सहनशीलता, कर्त्तव्‍य निष्‍ठा, संगठन शक्ति, अनुशासन एवं विनम्रता के गुण...
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जयपुर।  रैगर समाज में लोगों कि दिन-ब-दिन बढ़ रही हैसियत के साथ ही शादी-विवाह में भारी भरकम खर्चों का भी चलन खूब बढ़ गया है। शादी में फिजूलखर्ची और ज्यादा से ज्यादा दहेज देना एक फैशन बन गया है। दहेज़ प्रथा रूपी दानव किसी भी समाज के लिए अच्छी प्रथा नहीं है इसलिए इस प्रथा...
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चलिए आज हम बात करते है, अपने सामाजिक दायित्व की । यह ठीक वैसा ही प्रश्न है, जैसा कि, एक संतान का अपने माता-पिता के प्रति क्या दायित्व और जवाबदेहीता होना चाहिये । वैसे आम तोर पर हमेशा बात लेने की आती है, जैसे- मुझे क्या मिलेगा, मुझे क्या दिया, मेरा क्या फायदा होगा, मेरा...
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19 वीं शताब्दी के प्रारम्‍भ में दलित आंदोलन कि शुरूआत हिन्दुओ के भीतर ही हुई, जिसमे छुआछुत, मंदिरो मे जाना आदि समस्याओ के निराकरण स्वरूप इसका प्रारम्भ हुआ । 20 वीं शताब्दी के प्रारम्भ मे दलित आंदोलन कि शुरूआत महाराष्ट्र मे हुई जिसमे विधान मंडल मे हिस्सेदारी, पृथक निर्वाचन योजनाओ मे हिस्से की मांग की...
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15 अगस्त सन् 1947 को भारत विदेशी दासता से मुक्त हुआ और स्वतंत्र राष्ट्र होने पर डाक्टर बाबू राजेन्द प्रसाद को सबसे पहले भारत का राष्ट्रपति बनाया गया । जबकि पंडित जवाहर लाल नेहरू को प्रधानमंत्री पद कि शपथ दिलाई गयी । अपने मंत्री मंडल में सरदार वल्लभ भाई पटेल जो लोह पुरूष के नाम...
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छुट्टियाँ बिताने के लिये पूरे परिवार के साथ यात्रा में जाने का शौक भला किसे नहीं होता । घूमने जाने के नाम से बच्चे सबसे अधिक रोमांचित होते हैं पर साथ ही साथ बड़े भी उत्साहित रहते हैं । पर अक्सर होता यह है कि लोग बिना किसी पूर्व योजना तथा तैयारी के यात्रा में...
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हिन्‍दू-धर्म व समाज व्‍यवस्‍था के अनेक संस्‍कार व मान्‍यताये अपराध बन गये :- हजारों वर्षों के धार्मिक अंधी आस्‍था व वर्ण व्‍यवस्‍था के काले युग में जन्‍मी-पनपी अनेक मान्‍यताएं, परम्‍पराएं व धार्मिक अनुष्‍ठान वर्तमान वैज्ञानिक व सामाजिक राजनैतिक स्‍वतंत्रता के युग में अपराधों की श्रेणी में आ चुके है । इस देश की संसद व विधान...
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भारत विभिन्‍न धर्मों का संगम स्‍थल है जो इसकी सांस्‍कृतिक एकता का प्रतिरूप हैं । यहाँ पर धर्म व सम्‍प्रदायों की पहचान उनके त्‍यौहारों उत्‍सवों, पूजा अर्चना तथा आराध्‍य देवी-देवताओं में समाहित है । इय जगत में ब्रह्मा-सृष्टिकर्ता, विष्‍णु-पालनकर्ता व महेश-संहारकर्त्ता के रूप में देवीय कार्यों को माया मानकर करीब 33 करोड़ देवी-देवताओं की श्रद्धा...
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समाज की उत्‍पत्ति : आदिकाल का मानव ही हमारे समाज का जन्‍मदाता है । समाज शब्‍द ‘सभ्‍य मानव जगत’  का सूक्ष्‍म स्‍वरूप एवं सार है । सभ्‍य का प्रथम अक्षर ‘स’ मानव का प्रथम अक्षर ‘मा’ जगत का प्रथम अक्षर ‘ज’ इन तीनों प्रथम अक्षरों के सम्मिश्रण से समाजशब्‍द की उत्‍पत्ति हुई, जो सभ्‍य मानव जगत का प्रतिनिधित्‍व एवं प्रतीकात्‍मक शब्‍द है । समाज की...
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