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प्रिय बंधुओं !         पुराणों शास्‍त्रों तथा उपनिषदों में और भी हजारों सूक्तियाँ मनुष्‍य के लिए व लोक कल्‍याण के लिए बनाई गई है । अगर मनुष्‍य इन सूक्तियों का अनुसर करे तो लाभ मोह मद काम क्रोध मत्‍सर से छुटकारा मिल जाता है । आत्‍मा स्‍वच्‍छ निर्मल गंगाजल सी निर्लेप पवित्र बनकर भगवान की प्राप्‍ति...
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हे ! प्रिय, निराश न हो, समाज व जीवन से , अपने सुख सपनों से, समाज व अपनों से , हिम्‍मत की तलवार लेकर, समाज में फैले अन्‍ध विश्‍वास को, लड़ो लड़ाई भ्रष्‍टाचार से , शिक्षा देवी हमें पुकारती है, हमे पढ़ना है, पढ़ना है, अशिक्षा को दूर करना है, समाज की बेड़िया तोड़ना है...
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         संगठन गढे चलो सुपंथ पर बढे चलों । भला हो जिसमे कोम का वो काम सब करे चलों ।। युग के साथ मिलकर सब कदम मिलाना सिख लों । एकता के स्‍वर के गीत गुन गुनाना सिख लों ।। समाज के विकास के रास्‍ते पर सब साथ चले चलों । संगठन गढे चलो सुपंथ...
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         जल में थल में नील गगन में गुंजेगा जय गान। हमारी रैगर जाति महान्, हमारी रैगर जाति महान् ।। अटल रहेंगे हम जीवन भर, चाहे आये लाख मुसिबत आये । फर्क ना पडेगा हमको, चाहे हम रैगर जाति के लिये मर जाये ।। चूर-चूर कर देंगे हम दुशमन के अरमान । चमकाएंगे हम जाति...
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         जीवन में कुछ करना है तो, मन को मारे मत बैठो । आगे आगे बढना है तो, हिम्‍मत हारे मत बैठो ।। चलने वाला मंजिल पाता, बैठा पीछे रह जाता । ठहरा पानी सड जाता, बहता पानी निर्मल हो जाता ।। पॉव दिये चलने के खातिर, पॉव पसारे मत बैठो । आगे बढना है...
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         जब सांझ ढले, जब दीप जले। रैगर ! मन के सहचर आ जाना। नन्हा तारा जब गगन पले। जब तम रजनी के प्राण छले। तब दुखी समाज को राह दिखाने। गुरु ज्ञान रवि किरण बन आ जाना। युवकों से छिन जब बल बहे। और सामाजिकता मंद-मंद चले। गुरु लक्ष्य सीख प्राण वायु बन जाना।...
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        हमारी उम्मीदेँ खतम हो जाती जहाँ से ।         रिश्तों में दूरिया बढ़ जाती वहाँ से । रैगर समाज एकता के लिए, हमें एक मंच पर आना होगा । किसी को भी नहीं कह सकते, हमेशा के लिए अलविदा । सामाजिकता की यह नहीं संविदा । रैगर बंधु ! कुछ ऐसा कर...
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        ज्ञान की लौ बिखेरने के लिए रैगर समर्थ हो । एक दूजे का हाथ पकड़ आगे बढ़ने को वचनबद्‌ध हो । छल-कपट से लूटा लूटेरों ने तेरा राज सिहासन । सब ले रैगर शपथ अँधेरे के आगे ना नतमस्तक हो । धर्मगुरु ज्ञानस्वरूप ने राह दिखाई उसका परिपालन हो । ‘लक्ष्य’...
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         रैगर जाति में जन्म लिया, निज समाज विकास में आगे रहेंगे । सामाजिक गौरव का काम करेंगे । रैगर समरसता हित सब काम करेंगे । स्वजाति उत्थान में समाज बंधु लग जाएँगे । माँ गंगा की संतान, रैगर ज्ञानी और गुणवान । सामाजिक एकता प्यारेँ बंधु मिल जाएँगे । वीरता, मर्यादा, से लबरेज समाज...
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          बदल रही आबो-हवा, नशे के दलदल मे फिसल रहा युवा । हर तरफ हो रहे सस्ते, सामाजिक सरसता भरे रिश्ते । नशा करने वाले समझते, शान सब मे खुद की दोगुनी । किंतु मायूसी के हालात, समाज मे व्यथा बढ़ रही सौगुनी । मलहम दु:ख-दर्द का और सही, किंतु ना कभी बने नशा विकल्प...
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